लेखनी कहानी -05-Jan-2023 (15)गिरगिट की तरह रंग बदलना ( मुहावरों की दुनिया )
शीर्षक = गिरगिट की तरह रंग बदलना
राधिका द्वारा सुनाई गयी कहानी को सुन कर मानव को भी उस मुहावरें का अर्थ समझ आ गया था और एक सीख भी मिल गयी थी, कि ईश्वर हर पल हमारे साथ होते है
उस मुहावरें का अर्थ तो उसे बखूबी समझ आ गया था, लेकिन अभी भी काफ़ी मुहावरें बचे थे, जिनका अर्थ समझ कर उसे कहानी बनाना थी, इसलिए उसने दुसरे मुहावरें को पढ़ कर सुनाया जो की था " गिरगिट की तरह रंग बदलना "
मुहावरा पढ़ कर वो उसका अर्थ जानने के लिए इच्छुक था, और अपने दादा से उसका अर्थ बताने को कहा, जिसे सुन दीन दयाल जी बोले " बेटा, गिरगिट छिपकली की तरह दिखने वाला एक रेंगने वाला जानवर होता है, जिसके अन्दर रंग परिस्थिति के अनुरूप रंग बदलने का गुण होता है, और ये गुण उसे अन्य जानवरों से अलग भी करता है, वो तो एक जानवर है जिसे ईश्वर ने रंग बदलने का गुण दिया है
लेकिन कभी कभी मनुष्य भी गिरगिट की भांति रंग बदलते है, जिसके लिए पूर्वजों ने ऐसे मनुष्यों के लिए इस मुहावरें को बनाया "
"इंसान भी रंग बदलते है, लेकिन कैसे? " मानव ने पूछा
बेटा यहां रंग का मतलब,इंसानों के ऊपरी रंग से नही है, जैसे की काला, गोरा, साँवला, यहां रंग से तातपर्य है, उसकी फ़ितरत, उसके व्यवहार से है, जो की आज कल के मनुष्य का समय समय पर बदल जाता है,
चलो मैं तुम्हे एक कहानी सुनाती हूँ, जिसके माध्यम से तुम इस मुहावरें का अर्थ और इसको बनाने का मतलब अच्छे से समझ जाओगे
बेटा ये कहानी है, दो बहनो की, जिनमे बहुत ही ज्यादा प्रेम था आपस में, उन्हें देखने वाले लोग, उनकी मिसाल देते थे
दोनों जुड़वाँ तो नही थी, लेकिन हाँ दोनों के बीच 1.5 साल का अंतराल था, जिसके चलते बड़ी बहन सोनाली थी और छोटी बहन सलोनी थी
बचपन साथ गुज़रा, दोनों जवान भी साथ साथ ही हुयी, अब समय था दुनिया की रीत निभाने का, यानी की उनके लिए वर ढूंढ कर उन्हें विदा करने का
दोनों में आपस में इतना प्रेम था, जिसके चलते वो एक दुसरे से जुडा नही होना चाहती थी, उन्हें इस ख्याल से भी डर लगता था
शायद ईश्वर को भी उन्हें जुदा करना अच्छा नही लगा, इसलिए दोनों के लिए एक ही परिवार के बेटों के लिए रिश्ता आया, बड़े के लिए सोनाली को पसंद किया गया और छोटे के लिए सलोनी को पसंद किया गया, दोनों का रंग, रूप, नेन नक्ष सब चोखा था, कोई भी कमी नही थी
इसलिए ज्यादा समय नही लगा, और वो दोनों अपने अपने घर की हो गयी
शादी के एक साल बाद सलोनी ने एक बेटे को जन्म दिया, जिसकी ख़ुशी सलोनी से ज्यादा सोनाली को थी, उसका भी मन था की उसकी गोद में भी ऐसा ही कोई बच्चा हो
लेकिन शायद ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था, जहाँ उसने छोटी बहन को तीन तीन बेटों की माँ बना दिया था वही सोनाली एक औलाद के लिए दर बदर भटकती फिरती थी, औलाद ना होने की वजह से वो चिड़चिड़ी रहने लगी थी
क्यूंकि शादी के इतने साल बाद भी एक बच्चा ना जन पाने की वजह से उसे ना जाने क्या कुछ सुनना पड़ता था
यहां तक की उसकी छोटी बहन भी अब बदल गयी थी, उसने गिरगिट की तरह रंग बदल लिया था, वो अपने बच्चों को उससे दूर रखती थी, उसे लगता था कि कही उसकी बड़ी बहन उसके बच्चों को नुकसान ना पंहुचा दे, कही खुद को माँ बनता ने देख पाने की वजह से वो उसकी औलाद को कोई तकलीफ ना पंहुचा दे
यही तक नही, बल्कि तीन बेटों की माँ होने की वजह से उसमे अहंकार भी आ गया था, जिसके चलते वो बातों बातों में उसे उसके अंदर की कमी का जताती रहती, और मंद मंद मुस्कुराती
इसी के साथ उसने, अपनी बड़ी बहन को घर से निकालने के लिए, उसके बच्चों को नुकसान ना पंहुचा दे ये कह कर अपने घर वालों के कान भर दिए जिसके चलते उसके पति और उसे उसका हिस्सा देकर दूर चले जाने को कहा
अपनी उस बहन का इस तरह बदलता व्यहार देख सोनाली को खुद पर यकीन नही हो रहा था, उसने सिर्फ सुना ही था की लोग रंग बदलने की प्रवर्ती रखते है, लेकिन उसने देख भी लिया था, की लोग किस तरह समय के साथ साथ रंग बदल लेते है, कल तक जो बड़ी बहन उसकी जान हुआ करती थी, आज उसी बहन से उसे डर लग रहा है, बेचारी अपना बोरिया बिस्तर लेकर वहाँ से चली आयी अपने पति के साथ
अब तो उसका ईश्वर से भी भरोसा उठने लगा था, लेकिन कहते है ना ईश्वर के घर देर है पर अंधेर नही, और ऐसा ही सोनाली के साथ हुआ जब वो अचानक बाजार से आते आते गिर गयी और अस्पताल जाकर उसे पता चला की वो माँ बनने वाली है, उस ख़ुशी ने उसके अंदर ख़त्म होती ईश्वर में आस्था को फिर से जगा दिया था
और फिर उस गुज़रती उम्र में उसकी गोद में एक नन्हा सा बच्चा आ गया, जिसका नाम उसने कान्हा रखा, और उसे इस उम्र में ईश्वर की तरफ से दिया गया वरदान समझ कर पालने लगी, उसे पढ़ाया लिखाया, अच्छे संस्कार दिए
देखते ही देखते समय मुट्ठी में बंद रेत की भांति गुज़रता चला गया, उसका बेटा शहर जाकर अच्छी तालीम हासिल करके घर लोटा जबकी उसकी छोटी बहन सलोनी ने अपने चारों बच्चों पर ज्यादा ध्यान नही दिया जिसके चलते उन चारों में से एक भी बच्चा कामयाब नही हो पाया, यहां तक की ना तो वो कोई संस्कार ही सीख पाए अपनी माँ से और ना ही स्कूल की शिक्षा हासिल की, चारों चारों आवारा गर्दी में पड़ गाये, जब तक सलोनी को एहसास हुआ तब तक बहुत देर हो चुकी थी
वो अपनी बड़ी बहन से माफ़ी मांगने भी पहुंची लेकिन कभी कभी, किसी अपने के इस तरह बदल जाने पर उसके द्वारा प्रताड़ित किए जाने पर सिर्फ एक माफ़ी समाधान नही होती, इसलिए उसकी बहन ने उसे माफ किये बिना ही घर से वापस कर दिया, क्यूंकि वो जानती थी की अब भी वो गिरगिट की भांति रंग बदल कर ही उसके सामने आयी है, क्यूंकि उसके बेटे को उसके बेटे ने नशे के पदार्थ की समुगलिंग करते पकड़ लिया था, क्यूंकि उसका बेटा एक पुलिस अफसर बन गया था और उसने अपना फर्ज़ निभाया था
यही बात उसने अपनी छोटी बहन से भी कही और उसे घर से चलता कर दिया, क्यूंकि दिल पर लगे जख्मो को सामने वाले के आंसू या माफ़ी के लिए जुड़े हाथ नही भर सकते है, भले ही माफ कर देना अच्छी बात है लेकिन कभी कभी माफ करना इतना आसान भी नही होता
सुष्मा जी द्वारा सुनाई गयी कहानी को मानव के साथ साथ अन्य लोग भी ध्यान लगा कर सुन रहे थे, और उसमे खो से गाये थे, पता ही नही चला की कब शाम से रात हो गयी और खाना भी बनाना था
उसके बाद राधिका और सुष्मा जी रसोई में खाना बनाने चले गाये और मानव अपने दादा के साथ ही खेल रहा था
मुहावरों की दुनिया हेतु
Seema Priyadarshini sahay
06-Mar-2023 07:39 AM
बहुत खूबसूरत लिखा आपने
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Gunjan Kamal
13-Feb-2023 10:39 AM
बेहतरीन
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डॉ. रामबली मिश्र
05-Feb-2023 09:54 PM
बेहतरीन
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